वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 41वें जीएसटी काउंसिल की बैठक में यह घोषणा की है कि इस वित्त वर्ष अर्थव्यवस्था में संकुचन अर्थात गिरावट हो सकती है. इस संकुचन का सबसे बड़ा कारण उन्होंने कोरोना संक्रमण को बताया है जिसे उन्होंने “एक्ट ऑफ़ गॉड” के रूप में परिभाषित किया है. सीतारमण ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में जीएसटी संग्रह में 2.35 लाख करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई है.
5 घंटे तक चली इस बैठक के बाद सीतारमण ने कहा कि राज्यों के मुआवजे का भुगतान करने के लिए दो विकल्पों पर बातचीत की गई. सीतारमण ने कहा, इस वित्त वर्ष में मुआवजे का अंतर लगभग 2.35 लाख करोड़ बढ़ गया है. यह कमी कोरोना संक्रमण के बढ़ते हुए प्रसार के कारण भी हुई है. जीएसटी के कारण मुआवजे में कमी का अनुमान 97,000 करोड़ रुपये है. जीएसटी परिषद में चर्चा के दौरान रास्ता निकला गया कि आरबीआई की सलाह से राज्यों के लिए ब्याज दर पर 97,000 करोड़ रुपये बांटे जाएं और इसे उपकर के संग्रह से 5 साल बाद चुकाया जा सकता है. दूसरा विकल्प यहसुझाया गया आरबीआई की सलाह से 2,35,000 करोड़ रुपये के कुल जीएसटी मुआवजे के अंतर की भरपाई इस साल राज्यों द्वारा की जाए.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राज्यों ने विचार करने के लिए सात दिन का समय मांगा है और उसके बाद राज्य वित्त मंत्रालय से इस विषय पर पुनः संपर्क करेंगे.
इस विषय पर यह भी जानना ज़रूरी है कि राज्यों को राजस्व में कमी की भरपाई के लिए कर्ज लेने के केंद्र के सुझाव का कांग्रेस और गैर-राजग दलों के शासन वाले राज्य विरोध कर रहे हैं. उन राज्यों का तर्क है कि
सुझाव के विरोधी राज्यों का तर्क है कि घाटे की कमी को पूरा करना केंद्र सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है. लेकिन इसके जवाब में केंद्र सरकार ने कानूनी सलाह का हवाला देते हुए कहा कि टैक्स के कलेक्शन में यदि कमी आती है तो केंद्र सरकार पर यह बाध्यता नहीं रहती है.
पश्चिम बंगाल के वित्तमंत्री अमित मित्रा ने सीतारमण को पत्र लिखा था जिसमे उन्होंने अनुरोध किया था कि राज्यों को जीएसटी संग्रह में आ रही कमी को पूरा करने के लिए बाजार से कर्ज लेने का सुझाव नहीं देना चाहिए. यह केंद्र की जिम्मेदारी है कि वह राज्यों को पूर्ण रूप से क्षतिपूर्ति राशि देने के लिए संसाधन जुटाए.
भारतीय अर्थव्यवस्था में जीएसटी को टैक्स प्रणाली में सबसे बड़ा सुधार माना जाता है वर्ष 2017 में 28 राज्य वैट समेत अपने स्थानीय करों को हटा कर जीएसटी प्रणाली को लागू करने पर तैयार हुए थे.